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महिला, रोजगार और कानून व्यवस्था पर टिका बिहार चुनाव 2025 का पूरा समीकरण

Bihar Elections

बिहार: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार जनता के मुद्दे पुराने ढर्रे से हटकर हैं। जहां एक ओर एनडीए विकास और स्थिर शासन का दावा कर रही है, वहीं महागठबंधन महिला सुरक्षा, रोजगार और कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर हमलावर है। इस चुनाव में महिलाएं, नौजवान और छोटे कारोबारी निर्णायक भूमिका निभाने वाले हैं।

महिलाएं बनीं चुनावी एजेंडे का केंद्र
बिहार में महिला मतदाताओं की संख्या लगभग 49% है। यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल उन्हें अपने पक्ष में लाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां महिला आरक्षण बिल और शराबबंदी नीति को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं, वहीं तेजस्वी यादव महिलाओं के लिए सुरक्षा, रोज़गार और शिक्षा के अवसर की कमी को मुद्दा बना रहे हैं। महागठबंधन की ओर से ‘बेटी बोले बिहार जीते’ अभियान शुरू किया गया है, जबकि एनडीए ‘सुरक्षित बिहार, सशक्त नारी’ के नारे के साथ महिलाओं को साधने में जुटी है।

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रोज़गार बना चुनावी रणभूमि का सबसे बड़ा मुद्दा
राज्य में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अभी भी अधिक है। यही वजह है कि युवाओं के लिए रोजगार और औद्योगिक विकास चुनावी बहस का केंद्र बन गया है।

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तेजस्वी यादव ने फिर से दोहराया है कि अगर महागठबंधन सत्ता में आती है तो हर जिले में रोजगार मिशन केंद्र स्थापित किया जाएगा। वहीं, बीजेपी और जेडीयू का दावा है कि“ बिहार में पिछले पांच साल में 15 लाख युवाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिला है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी हाल की रैली में कहा —

“बिहार में विकास की रफ्तार को कोई रोक नहीं सकता। अब हर जिले में उद्योग और शिक्षा दोनों बढ़ेंगे।”

कानून व्यवस्था बनी विपक्ष का सबसे बड़ा हथियार
राज्य में बढ़ते अपराध और अपराधिक घटनाओं ने कानून व्यवस्था को फिर से चुनावी बहस के केंद्र में ला दिया है। गया, पटना, और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में हाल के दिनों में बढ़े हत्या, लूट और अपहरण के मामलों को विपक्ष ने मुद्दा बना लिया है।

तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि —

“नीतीश सरकार के राज में पुलिस का मनोबल गिरा है और अपराधियों का हौसला बढ़ा है।”

वहीं, गृह विभाग का कहना है कि राज्य में अपराध दर में पिछले दो वर्षों में 17% की कमी आई है।

मतदाता भी बोले — रोज़गार और सुरक्षा सबसे ज़रूरी
ग्रामीण इलाकों में मतदाता सबसे ज़्यादा रोजगार और सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। महिलाओं ने कहा कि वे चाहती हैं सुरक्षित माहौल और स्थायी रोजगार, ताकि उनके बच्चे बिहार में ही आगे बढ़ सकें। शहरी मतदाताओं ने बिजली, सड़क और शिक्षा को अहम बताया, लेकिन कहा कि “कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर सख्ती जरूरी है।”

निष्कर्ष — बिहार में मुद्दे बदले, सोच भी बदली
बिहार चुनाव 2025 में न तो सिर्फ जातीय समीकरण हावी हैं और न ही परंपरागत वादे। इस बार महिला सशक्तिकरण, रोजगार और कानून व्यवस्था ही वो तिकड़ी है जिस पर बिहार का चुनावी गणित टिका है। एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए यह तय करेगा कि बिहार की जनता विकास चाहती है या बदलाव।

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