महिलाओं की चुप्पी तूफान बनी: लालटेन बुझी, नाव डूबी, NDA की सुनामी में हाथ भी फिसला
बिहार : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे और रुझान अब लगभग तस्वीर साफ कर चुके हैं—और इस तस्वीर में एक चीज सबसे ज़्यादा चमक रही है: महिलाओं का अभूतपूर्व मतदान और उसका सीधा राजनीतिक असर।
जहाँ महागठबंधन को उम्मीद थी कि इस बार जनता बदलाव का मौका देगी, वहीं असल मैदान में महिलाओं की चुप्पी एक ऐसा तूफान साबित हुई जिसने लालटेन बुझा दी, नाव डुबो दी और ‘हाथ’ भी नहीं बचा पाया। NDA 2010 जैसा ऐतिहासिक प्रदर्शन दोहराता दिख रहा है।
महिलाओं ने रचा इतिहास — 71% मतदान, पुरुषों से 10% अधिक
इस चुनाव का सबसे बड़ा ‘X फैक्टर’ महिलाएँ रहीं।
पूरे बिहार में महिलाओं ने:
- 71% मतदान किया
- पुरुषों से करीब 10% अधिक वोट डाले
- कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाई
चुनावी विशेषज्ञ इसे “Silent Women Wave” बता रहे हैं—मतलब महिलाओं ने किसी से कुछ नहीं कहा, लेकिन मतदान में अपनी आवाज़ दर्ज कर दी। इन वोटों में सबसे बड़ा फायदा नीतीश कुमार के NDA को मिलता दिखाई दे रहा है।
नीतीश की महिला-केंद्रित नीतियों ने असर दिखाया
लगातार 15–20 साल से लागू कई योजनाएँ महिलाओं की घरेलू राजनीति का हिस्सा बन चुकी हैं:
- साइकिल योजना
- पोशाक राशि
- छात्राओं को प्रोत्साहन राशि
- स्वयं सहायता समूह
- शराबबंदी
- आरक्षण
- सुरक्षा योजनाएँ
यही कारण है कि महिलाएँ इस चुनाव में पूरी मजबूती से सामने आईं और NDA को निर्णायक बढ़त दिला दी। माना जा रहा है कि महिलाओं के वोटों ने पूरा चुनाव पलट दिया।
महागठबंधन की रणनीति फेल क्यों हुई?
महागठबंधन ने पूरा फोकस रखा—
- SIR (मतदाता सूची पुनरीक्षण) विवाद
- EBC–OBC वोट बैंक
- “परिवर्तन” का नारा
- तेजस्वी की माई–बहन–मान योजना
लेकिन इनमें से कोई भी बड़ा मुद्दा महिलाओं पर प्रभाव नहीं डाल पाया। महागठबंधन ने दावा किया था कि SIR में लाखों नाम हटे हैं, लेकिन जनता इस मुद्दे से जुड़ी नहीं।
जमीनी स्तर पर महिलाएँ इन दावों से प्रभावित नहीं हुईं।
VIP का ‘सन ऑफ मल्लाह’ कार्ड भी नहीं चला
वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी 15 सीटों पर लड़े, लेकिन:
- एक भी सीट पर लीड नहीं
- वोट प्रतिशत बेहद कम
- राजनीतिक पकड़ बिल्कुल भी नहीं दिखी
महागठबंधन की रणनीति का यह सबसे कमजोर हिस्सा साबित हुआ।
कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब — 60 सीटें, नतीजे 5 से भी कम?
कांग्रेस के लिए यह चुनाव ऐतिहासिक रूप से निराशाजनक दिख रहा है।
- 2020 में 19 सीटें
- इस बार 60 से अधिक पर लड़कर भी गिनती की सीटें
- स्ट्राइक रेट सबसे खराब
इसके उलट एनडीए की छोटी पार्टियाँ—हम और LJP—काफी अच्छा प्रदर्शन करती दिखाई दे रही हैं।
NDA की सुनामी — BJP–JDU करती दिख रहीं दोहराव 2010 का इतिहास
रुझानों के अनुसार:
- NDA → 199 सीटों पर आगे
- MGB → 38 सीटों पर
- BJP → 91 सीटें
- JDU → 79 सीटें
यह साफ है कि जनता ने इस बार भी NDA को मजबूत जनादेश दिया है।
महागठबंधन में मायूसी—जमीन खिसकी, दावे फुस्स
राजद नेताओं ने चुनाव के दौरान बड़े दावे किए—
लेकिन जब नतीजे सामने आए तो:
- लालटेन बुझ गई
- नाव डूब गई
- हाथ का सहारा भी नहीं आया
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि गलत मुद्दे उठाए गए और जमीन से जुड़ाव कमजोर रहा।
महिलाओं ने बदल दिया खेल: नतीजों के पीछे वही असली ‘गेम चेंजर’
इस बार महिलाओं की चुप्पी ने पूरा चुनाव पलट दिया। मतदान केंद्रों पर उनके उत्साह ने एनडीए की नैया पार लगा दी। महिला वोट 10% ज़्यादा होना अपने-आप में राजनीतिक संदेश है। यह संदेश साफ है—बिहार की महिलाएँ अब चुनाव तय करती हैं और इस चुनाव में उन्होंने NDA की जीत लिख दी।



