भोक्ता पर्व में आस्था का चरम रूप — बोकारो में अद्भुत चड़क पूजा की झलक

चड़क पूजा झारखंड

बोकारो: हैरान कर देने वाली तस्वीरें… लेकिन ये ना कोई करतब है, ना ही कोई तमाशा… ये है आस्था का वो चरम रूप जिसे कहते हैं — चड़क पूजा!

Maa RamPyari Hospital

हर साल बैसाख महीने की शुरुआत के साथ बोकारो के पुंडरू, बरकामा, अमलाबाद, नौडीहा, साबड़ा और उदलबनी जैसे गांवों में भोक्ता पर्व की धूम मच जाती है। और इस पर्व की आत्मा है — चड़क पूजा।

यह पूजा साधारण नहीं… यह वो परीक्षा है जिसमें शरीर की सहनशक्ति, मन की शक्ति और भगवान शिव में अटूट आस्था की अग्नि परीक्षा होती है।
भक्त अपने शरीर में लोहे की कीलें छिदवाते हैं, खुद को लकड़ी के पाटों से बांधकर हवा में झूलते हैं… और शिव की भक्ति में खुद को पूरी तरह अर्पित कर देते हैं।

whatsapp channel

Maa RamPyari Hospital

Telegram channel

कोई फांसी के फंदे की झांकी बनाता है, कोई खुद को सूली पर चढ़े ईसा मसीह के रूप में दर्शाता है — लेकिन हर क्रिया के पीछे एक ही उद्देश्य — भगवान शिव को प्रसन्न करना।

आश्चर्य की बात यह है कि इतनी कठोर साधना और कीलों के छेद के बावजूद ना तो कोई रक्तस्राव, ना कोई दर्द — मान्यता है कि यह सब भगवान शिव की कृपा से संभव है।

Sarla Birla Happy Children Day

वहीं बोकारो विधायक स्वेता सिंह का कहना है कि यह सिर्फ आस्था नहीं, हमारी विरासत है… चड़क पूजा जैसे पर्व झारखंड की संस्कृति और विश्वास की पहचान हैं।

चड़क पूजा न केवल एक पूजा है, बल्कि हजारों सालों से चली आ रही उस परंपरा की जीवंत तस्वीर है, जिसमें भक्ति सिर्फ शब्दों तक नहीं, बल्कि शरीर और आत्मा से महसूस की जाती है।
यह झारखंड है… जहां श्रद्धा, साहस और संस्कृति एक साथ चलते हैं।

बने रहिए मुनादी लाइव के साथ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *