रांची GPO फिलैटली ब्यूरो में “Bapu in Bihar” और “The Journey of Indian Postal Meter Markings” पुस्तकें उपलब्ध

रांची GPO पुस्तकें

भारतीय डाक विभाग की ऐतिहासिक पहल

रांची, 19 मई 2025: भारतीय डाक विभाग ने एक बार फिर इतिहास और संस्कृति को जनमानस से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। रांची मुख्य डाकघर (GPO) स्थित फिलैटली ब्यूरो में अब दो विशिष्ट और ऐतिहासिक पुस्तकों – “Bapu in Bihar” और “The Journey of Indian Postal Meter Markings” को जनसाधारण के लिए उपलब्ध करा दिया गया है। यह न केवल डाक विभाग की बौद्धिक विरासत को सामने लाने की कोशिश है, बल्कि भारतीय इतिहास, विशेषकर गांधी युग और डाक परंपरा, को भी नए सिरे से समझने का एक सशक्त माध्यम है।

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“Bapu in Bihar” – गांधी जी के बिहार प्रवास की दुर्लभ झलक

इस पुस्तक के लेखक श्री अनिल कुमार, पोस्टमास्टर जनरल (पूर्वी क्षेत्र, बिहार सर्कल) हैं, जिन्होंने इस दस्तावेज़ में महात्मा गांधी के बिहार प्रवास, आंदोलनों और उनके सामाजिक प्रभाव को बारीकी से चित्रित किया है। यह पुस्तक विशेष रूप से गांधी जी के चंपारण सत्याग्रह, किसान आंदोलनों, और उनके भाषणों पर आधारित है।

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मुख्य विशेषताएं:

•गांधी जी पर आधारित सभी डाक टिकटों की चित्र सहित विस्तृत जानकारी।
•चंपारण आंदोलन, बिहार भ्रमण और ग्रामीण जागरूकता अभियानों का दस्तावेजीकरण।
•टिकटों के डिज़ाइन, वर्ष और उनके ऐतिहासिक महत्व की व्याख्या।
•पुस्तक में दुर्लभ तस्वीरें, भाषणों के अंश, और डाक अभिलेखागार की झलक।

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यह पुस्तक विशेष रूप से शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और उन सभी नागरिकों के लिए अनमोल है, जो गांधी दर्शन और उसके बिहार कनेक्शन को समझना चाहते हैं।

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“The Journey of Indian Postal Meter Markings” – डाक चिह्नों की 100 वर्षों की यात्रा

डॉ. रणजीत सिंह गांधी द्वारा लिखित यह ग्रंथ भारतीय डाक विभाग की तकनीकी और सांस्कृतिक यात्रा का एक संपूर्ण दस्तावेज़ है। यह पुस्तक देश में डाक मापन चिह्नों (meter markings), पोस्टमार्क्स और विभिन्न स्टैम्पिंग पद्धतियों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को अत्यंत रोचक और तथ्यात्मक ढंग से प्रस्तुत करती है।

प्रमुख बिंदु:

•डाक इतिहास में प्रयुक्त प्रारंभिक यांत्रिक मीटर, उनकी बनावट और प्रयोग का दस्तावेज।
•ब्रिटिश राज, स्वतंत्रता के बाद और आधुनिक युग में डाक पहचान चिन्हों का परिवर्तन।
•देश के विभिन्न शहरों – खासकर कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, रांची आदि में प्रयुक्त डाक चिह्नों का प्रदर्शनी स्तर का चित्रण।
•फिलैटली संग्रहकर्ताओं के लिए एक संदर्भ ग्रंथ के रूप में मान्यता।

शहर के सांस्कृतिक जीवन में एक नई हलचल

इन दोनों पुस्तकों की उपलब्धता ने रांची के साहित्यिक, शैक्षणिक और डाक संग्रहण समुदाय में नई ऊर्जा का संचार किया है। रांची यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजीव रंजन कहते हैं, “यह पहल न केवल डाक संग्रहकर्ताओं के लिए बल्कि हमारे छात्रों के लिए भी एक जीवंत अध्ययन स्रोत बन सकती है।”

पुस्तक प्राप्ति की जानकारी

दोनों पुस्तकें फिलहाल रांची GPO के फिलैटली ब्यूरो में उपलब्ध हैं। इच्छुक नागरिक, छात्र, शिक्षक और शोधकर्ता वहां पहुंचकर या संबंधित डाक कर्मियों से संपर्क कर के इन पुस्तकों को प्राप्त कर सकते हैं।
समय: सोमवार से शनिवार, प्रातः 10:00 बजे से अपराह्न 4:00 बजे तक। स्थान: रांची मुख्य डाकघर, फिलैटली ब्यूरो, पहली मंज़िल, मेन रोड, रांची – 834001

डाक विभाग का एक समर्पित प्रयास

डाक विभाग वर्षों से फिलैटली को बढ़ावा देने, ऐतिहासिक महत्व की घटनाओं को डाक टिकटों और प्रकाशनों के माध्यम से सुरक्षित करने का कार्य कर रहा है। ये दोनों पुस्तकें उसी श्रृंखला का एक अहम हिस्सा हैं।

भारतीय डाक सेवा इस दिशा में लगातार प्रयासरत है कि देश की युवा पीढ़ी डाक संग्रहण को शौक तक सीमित न रखे, बल्कि इसे एक शोधपरक, सांस्कृतिक और शिक्षाप्रद यात्रा के रूप में देखे।

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